भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
रूहों ने शहीदों की फिर हमको पुकारा है / आदिल रशीद
Kavita Kosh से
रूहों ने शहीदों की फिर हमको पुकारा है
सरहद की सुरक्षा का अब फ़र्ज़ तुम्हारा है
हमला हो जो दुश्मन का हम जाएँगे सरहद पर
जाँ देंगे वतन पर ये अरमान हमारा है
इन फिरकापरस्तों की बातों में न आ जाना
मस्जिद भी हमारी है, मंदिर भी हमारा है
ये कह के हुमायूँ को भिजवाई थी इक राखी
मजहब हो कोई लेकिन तू भाई हमारा है
अब चाँद भले काफ़िर कह दें ये जहाँ वाले
जिसे कहते हैं मानवता वो धर्म हमारा है
रूहों ने शहीदों की फिर हमको पुकारा है
सरहद की सुरक्षा का अब फ़र्ज़ तुम्हारा है
नोट : शुरू में आदिल रशीद साहब चाँद तिलहरी एवं चाँद मंसूरी के नाम से लिखते थे । उनकी यह रचना इन नामों से भी प्रकाशित हो चुकी है ।