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रूह बेचैन जिंदगी सी है / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
रूह बेचैन जिंदगी सी है
दर्द है आँख में नमी सी है
तूने जब से निगाह है फेरी
जिंदगी में बड़ी कमी सी है
तुझ को पाने के जुनूँ में हमदम
बेक़रारी भी बेकसी सी है
यूँ जमाने ने बेड़ियाँ डालीं
कुछ न करने की बेबसी सी है
वस्ल का इंतज़ार है लेकिन
तेरे चेहरे पे बेरुखी सी है
जश्न अब भी हैं मनाये जाते
पर खुशी जैसे दिल्लगी सी है
तीरगी से भरी निगाहों में
प्यार की तेरे रौशनी सी है