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रेखता (अलिफनामा 2) / शब्द प्रकाश / धरनीदास
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अलिफ असल को यादकर बे बन्दा सुन कान।
ते तडाक हो चलैगा, आखिर छोड़ जहान॥1॥
सेसवावित हो देखना, जीम जमाले यार।
हे हजूर माशूक है, खे खालिक संसार॥2॥
दाल दयामा जिक्र कर, जाल जात मामूर।
रे रजाय रहिमानकी, जे जवाल से दूर॥3॥
सीन सलामत जो रहै, शीन शकूर को जान।
साद सिफत महबूबकी, जाद जब्त पहिचान॥4॥
तो ताहिर जो माहिरे, झांकि झरोखे हेर।
अैन गैन दो सांससुर, हरदाम ताको फेर॥5॥
फे फेराक दीदार बिनु, काफ करार न होय।
काफ कैफका चाखना, लाम लाबसी खोय॥6॥
मीम मुहब्बत माइली, नून नफसको मार॥
वाव वसालहिँ हिय वसे, हे हवाल हो छार॥7॥
ला मकान अल्लाह को, अलिफ आप मेँ जान।
हमजा इये सो एक है, धरनी ता कुर्बान॥8॥