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रेत होते सपने / रवि पुरोहित
Kavita Kosh से
दोनों ने मिल
मनोयोग से
बनाया
रेत का घरौंदा
उफ़ान आया
तभी नदी में
और ध्वस्त हो गए
सारे सपने !
राजस्थानी से अनुवाद: स्वयं कवि द्वारा