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रेत (दस) / राजेन्द्र जोशी

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जाणै जग
सीस निवावै
फकत मिनख टीको लगावै
नमस्कार करै
चांदै कनै
जावण सूं पैली।

आसीस देवै
जावै जठै
सागै रैवै
मून रैवै
निंदा नीं करै
मिनख री
हामळ भरै
खोटी अर खरी
बातां री
रेत अेकली
रेत।