रेलगाड़ियाँ / निकअलाय असेयेफ़ / वरयाम सिंह
बर्फ से ढँके प्रदेश के ऊपर से
जहाँ चमकता है सिर्फ एक ठण्डा तारा
वहाँ हजारो दहकतें तारों की तरह
गुजरती हैं अनेकों आग की साँस लेती गाड़ियाँ।
ये ढोती हैं अन्न, टैंक और तोपें,
ढोती हैं सेना की टुकड़ियाँ
शोर करते मालगाड़ी के ड़िब्बे
तत्पर हैं लड़ाई का सामान पहुँचाने के लिए।
एक पल भी आलस या विलम्ब किये बिना
एक-एक क्षण का हिसाब रखते हुए
हर तरह के खतरों की अभ्यस्त
अंधकार को चीरती हैं उनकी आँखें।
दोनों तरफ न घर कोई न गाँव,
इंतजार है अनपेक्षित मुलाकातों का।
आसमान को चीरते हैं धातु के कव्वे
सदा के लिए उनका रास्ता काट डालने के लिए।
सुनसान जगहों के ऊपर
खेतों पर धुएँ की पूँछ फैलाते हुए
साहसी चालकों द्वारा चलाई
शोर मचाती गुजर रही हैं गाड़ियाँ।
आसपास यदि निकल आयें हिंस्त्र पक्षी
आसमान से यदि गिर पड़े बिजली
धोखा नहीं देगा कठोर साहस
धोखा नहीं देंगी ब्रेकें रास्ते में।
क्षितिज दहक रहा है लपटों में
रुको नहीं, हारो नहीं, ले चलो मंजिल तक,
चालकों ओर कोयला डालने वालों ने
बहुत कुछ देख रखा है रास्ते में।
बहुत मुसीबतें देखी हैं अनुभवी चालकों ने
घास पर से भाप की तरह गायब हो जायेंगे वे।
जलते हुए अंगारों के ऊपर से
बहुत चल चुके हैं दिमाग में विचार।
आकाश में सुनहले दाग हैं तारों के,
पर तुम्हें हर समय रहना है सावधान!
जीवन में बहुत सारे अधूरे रहे हैं उनके सपने
बहुत कुछ वे देख नहीं पाये इस दुनिया में।
नतमस्तक होना धुंधमरे इन चेहरों के सामने
दूर रखना उनसे हर तरह के संकट
सकुशल रहें वे, अक्षत रहें,
ओ नये वर्ष की नीली रात!
मूल रूसी भाषा से अनुवाद : वरयाम सिंह
लीजिए, अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए
Николай Асеев
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