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रेलगाड़ी / मुस्कान / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
छुक छुक करती रेलगाड़ी।
हम बच्चों की खेल गाड़ी॥
चुन्नू, मुन्नू, पप्पू, भागे
गुड़िया दौड़ी सबसे आगे।
बन गयी ठेलमठेल गाड़ी।
छुक छुक करती रेलगाड़ी॥
श्यामू ने लो मारी सीटी
सीटी लगती कितनी मीठी।
लायी कोयला तेल गाड़ी।
छुक छुक करती रेलगाड़ी॥
आगे बढ़े न कोई पिछड़े
चाहे हों बरसों के बिछड़े।
करवा देती मेल गाड़ी।
छुक छुक करती रेलगाड़ी॥
छकपक छकपक चले अगाड़ी
इंजन तो है बड़ा अनाड़ी।
कभी न होती फेल गाड़ी।
छुक छुक करती रेलगाड़ी॥