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रेलवे प्लेटफ़ार्म के अनाथ बच्चों को देखकर / रंजना जायसवाल
Kavita Kosh से
आखिर इन बच्चों की वल्दियत क्या है?
रेलवे प्लेटफार्म पर किसी ट्रेन के
रूकते ही दौड़ पड़ती है
इन बच्चों की भीड़
भीख मांगते
या किसी चलताऊ फिल्म का
गीत सुनाकर बख्शीश लेते
आखिर इन बच्चों की वल्दियत क्या है?
रेलवे पुलिस के रोजनामचे में आवारा दर्ज
हर महीने जेल जाने की रश्म -अदाईगी से
गुजरते हुए
हुक्कामों के घर बेगार खटते जवान होते
आखिर इन बच्चों की वल्दियत क्या है ?
जो रेलवे प्लेटफार्म के किन्हीं अँधेरे कोनों में
पैदा होती हैं
और किशोर होने से पहले ही
औरत बना दी जाती हैं
फिर नुक्कड़ों... चौराहों के
अँधेरे कोनों में ग्राहक के
इंतजार में खडी होती
और अपनी माँ की तरह
यतीम औलादें पैदा करतीं हैं
आखिर इन बच्चियों की वल्दियत क्या है?