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रेल-हड़ताल का गीत / कांतिमोहन 'सोज़'
Kavita Kosh से
रेल का चक्का जाम करो
जाम करो भई जाम करो
ऊँचा झण्डा लाल तुम्हारा ऊँचा अपना नाम करो I
रेल का चक्का जाम करो ।।
अपने बच्चे भूखे हैं और रेल-मिनिस्टर सोया है
अपनी नस-नस दुखती है और वो सपनों में खोया है
उसको झकझोरो साथी ! उसकी भी नींद हराम करो I
रेल का चक्का जाम करो ।।
सर से कफ़न बाँधकर अपने चलो बीच मैदान चलें
इस बंजर धरती पर साथी ! अब सौ-सौ तूफ़ान चलें
जब तक मंज़िल दूर तुम्हारी तब तक मत आराम करो I
रेल का चक्का जाम करो ।।
रेल का चक्का मेल का चक्का तेल का चक्का जाम करो I
पुलिस का चक्का फ़ौज का चक्का जेल का चक्का जाम करो ।।
जाम करो भई जाम करो
रेल का चक्का जाम करो ।।
1974 की ऐतिहासिक रेल हड़ताल का आह्वान करते हुए