रेल के भीतर नज़ारा / निज़र सरतावी / अनिल जनविजय
अचानक
दीवार पिघलने लगती है
रेलगाड़ी के दोनों तरफ़
नज़र आने लगती हैं बारातें
ख़ूबसूरत औरतें गाती-नाचती नज़र आती हैं
सुनाई देती है लापरवाह ढंग से
गिटार पर बजाई जा रही धुन
एक झरना बह रहा है
जिसके किनारे खड़े पेड़ झूम रहे हैं
इन पेड़ों की छाया में मिलते हैं प्रेमी
कुछ चश्माधारी गुज़र रहे हैं पास से
सिर हिलाते हुए
और इसी क्षण
भूत और भविष्य मिल रहे हैं
तभी अचानक दीवारें
फिर उभर आती हैं
पहियों के घूमने की आवाज़ सुनाई देती है
और रेल चल पड़ती है
अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय
अब यही रचना अँग्रेज़ी में पढ़िए
Vision Inside The Train
All of a sudden
the wall melts
And from the sides of the train
wedding processions come into sight
pretty women arrive
singing, dancing,
playing the melodies of a reckless guitar
A water brook flows
on whose banks groves swing
In their shade lovers meet
Glasses are passed around
that spin the heads
and the past and future meet
in the passing moment
And all of a sudden, too,
the wall returns
and the click of the wheels,
and the train goes on.
(Translated from Arabic by Nizar Sartawi)