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रेल / श्रीनाथ सिंह
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भक भक करती धुआं उड़ाती,
वह आ रही रेल चिल्लाती।
टन टन टन टन घंटा बोला,
जल्दी टिकट खरीदो भोला।
भीड़ हुई लोगों की भारी।
जल्दी में हैं सब नर नारी।
देखो कहीं न रह जाएँ हम,
केवल धक्का ही खाएं हम।
अजी जेब में पुस्तक डालो,
पहले निज असबाब संभालो।
ओहो यह न लाल गाड़ी है,
धोखा हुआ, मॉल गाड़ी है।