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रेवो अजुणी रात / मानसिंह राठौड़
Kavita Kosh से
सुणो कोडिला सायबा,म्हारी स्याणी बात ।
अर्ज करै है कामणी,रेवो अजुणी रात ।।
थाळ भरुं निज भाव रा,ऊपर नैण बिछात ।
अंतस करूँह आरती,रेवो अजुणी रात ।।
जीमण आप'ज कारणै,भला बणाऊं भात ।
जी भर भेळा जीमसां,रेवो अजुणी रात ।।
कायर मन कांपे घणो,डरकण म्हारी जात ।
सुख दुःख रा थे सारथी,रेवो अजुणी रात ।।
रैण नैण संग जावसी,पौ फाटे परभात ।
वखत 'मान' नह वीसरुं,रेवो अजुणी रात ।।