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रे निरमोही, छबि दरसाय जा / ललित किशोरी
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रे निरमोही, छबि दरसाय जा।
कान चातकी स्याम बिरह घन, मुरली मधुर सुनाय जा।
ललितकिसोरी नैन चकोरन, दुति मुखचंद दिखाय जा॥
भयौ चहत यह प्रान बटोही, रुसे पथिक मनाय जा॥