रैम्प पर चलनेवाली लड़कियाँ / प्रदीप मिश्र


रैम्प पर चलनेवाली लड़कियाँ


ग्रीनरूम से निकलतीं
सधे कदमों से
चलतीं रैम्प पर
उनकी खूबसूरत अदाओं पर
पागल हो जाते दर्शक

लड़कियों की आत्मा और शरीर की ख़ूबसूरती
हाशिए पर हाँफ रही होती
और एक वस्तु की गुणवत्ता की तरह
आँक ली जातीं सारी लड़कियाँ

इन लड़कियों की आँखों में एक उड़ान होती है
वे पहुँच जाना चाहती हैं शीर्ष पर
 
परिणाम घोषित होता है जब तक
वे वापस पहुँच चुकी होतीं हैं ग्रीनरूम में

जज की निगाहों से बाजार तक
रैम्प पर चलनेवाली लड़कियाँ
चलते-चलते कहीं नहीं पहुँच पातीं

हर बार ग्रीनरूम से निकलकर
ग्रीनरूम में पहुँचनेवाली इन लड़कियों को
आम की गुठली समझता है बाज़ार
बाजार सदियों से आम का शौकीन रहा है।

इस पृष्ठ को बेहतर बनाने में मदद करें!

Keep track of this page and all changes to it.