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रै सौदागर बैरी एक दम कर्या क्यू अधेरा / मेहर सिंह

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जवाब अम्बली का

न्यूं तै मैं भी जाण गई ढंग डोल बिगड़ लिया तेरा।
रै सौदागर बैरी एक दम कर्या क्यूं अंधेरा।टेक

भोर तै अन्धेरा होग्या ढल सा दिखाई दिया
अपणें मन में राजी होकै मल सा दिखाई दिया
खिड़की के म्हां देख्या जल थल सा दिखाई दिया
करकै नै विचार राणी सोच के म्हां घिरणे लागी
ईश्वर कै अरदास राणी आह किनारै भरणे लागी
कुछ धूंआ सा चढ़या मगज मैं जी घबराग्या मेरा।

न्यू बोल्या तूं रोवै मतना रौब सा जमावण लाग्या
पागल की ढाल वो आंख पाड़ कै लखावण लाग्या
मिंठी मिंठी बातां गैल्या मन मेरा बहलावण लाग्या
पन्नालाल माता जी के बयान करकै भूल गया
धर्म ने पिछाणै क्यूं ना ज्ञान करकै भूल गया
देख कै नै माया को अभिमान करकै भूल गया
मेरी ज्यान का तूं बण्या शिकारी लाकै हेराफेरा।

दिखती ना सराय घणी दूर का बिचाला होग्या
मानगी बहकाई राणी कैसा मोटा चाला होग्या
हे सच्चे करतार मेरी जिन्दगी का घाला होग्या
बाल अवस्था बेटे मेरे कित कित धक्के खाणें होगें
नया दाणा नया पाणी बखत भी पुराणें होगें
विपता के दिन आज आंख मींच कै लंघाणें होगें
पक्षी तक भी राखैं आलणा ना म्हारे कर्मां मैं डेरा।

गुरु लखमीचन्द हाथ जोड़ राणी जी न्यू कहणे लागी
सहम हंस रोवै आंसू आख्यां के म्हां बहणे लागी
जैसी हवा चलै वैसी आत्मा पै सहणे लागी
बैठकै पछताई राणी सत मंजले जहाज कै म्हां
पतिभ्रता नै रहणा पड़ै हरदम घुटकै लिहाज कै म्हां
ईश्वर जी पहुंचा दियो मेरे पिया जी के राज कै म्हां
कहै मेहर सिंह दूसरे के मन का किसनै पाटै बेरा।