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रोज़ाना वाली खिचड़ी / सपन सारन
Kavita Kosh से
एक कटोरी — चिन्ता
और एक कटोरी — काम
को मिला दीजिए ।
तक़लीफ़ में भिगोकर
छोड़ दीजिए ।
आँच पर जीवन रखिए
दो बड़े चम्मच याद डालिए ।
अच्छे से गरम होने पर
ज़रा सी उम्मीद का छौंक
और ख़ौफ़ का तड़का लगाइए ।
अब इसमें काम और चिन्ता के गीले मिश्रण को
डेढ़ गिलास तमन्ना संग मिला दीजिए ।
अरे हाँ ! ढक्कन बन्द करने से पहले
स्वादानुसार अनिश्चितता का प्रयोग कीजिए ।
फिर क्या ?
जितनी सीटियाँ चाहें बजा दीजिए ।
खिचड़ी तैयार !
जनाब, खा सकें तो खा लीजिए ।