रोज़े-अज़ल से जारी सजा़ओं का सिलसिला / अमीता परसुराम मीता
रोज़े-अज़ल1 से जारी सजा़ओं का सिलसिला
फिर भी थमा नहीं है ख़ताओं का सिलसिला
क़ायम है अब भी मेरी वफ़ाओं का सिलसिला
इक सिलसिला है उनकी जफ़ाओं का सिलसिला
अब अश्क़बार2 होते नहीं हैं दुआओं में
नाकाम यूँ हुआ है दुआओं का सिलसिला
पाँव तले जमीं न मिला आसमाँ कोई
मेरा सफ़र है जैसे ख़लाओं3 का सिलसिला
आज़ाद हो चुकी हूँ हर इक सिलसिले से मैं
ले जाये अब कहीं भी हवाओं का सिलसिला
ख़ुदसाख़्ता4 ख़ुदाओं ने जीना किया मुहाल
रब जाने कब रुकेगा ‘ख़ुदाओं’ का सिलसिला
मुफ़लिस5 की ज़िन्दगी तो है मुफ़लिस की ज़िन्दगी
ख़ामोश अनकही सी सदाओं6 का सिलसिला
सहराई7 ज़िन्दगी में वो आये कुछ इस तरह
हर सिम्त अब हुआ है घटाओं का सिलसिला
1. आदिकाल 2. आँसू बरसाने वाला 3. शून्य
4. Self-made 5. ग़रीब 6. आवाज़ों 7. सूखी