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रोज़ो शब का मुआमला क्या है / मोहम्मद इरशाद
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रोज़ो शब का मुआमला क्या है
ज़िन्दगी इस के फिर सिवा क्या है
मुझसे नज़रें मिला के बात करो
तुमसे अच्छा कोई हुआ क्या है
हर सज़ा फिर कुबूल है मुझको
पहले बतलाइये ख़ता क्या है
दीनो-दुनिया तो तुझपे वार चुका
मेरे दामन में अब बचा क्या है
दिल को टूटे हुए ज़माना हुआ
टूटा शीशा तू जोड़ता क्या है
दुनिया ‘इरशाद’ इक पहेली है
तू है नादाँ तुझे पता क्या है