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रोज़ बढ़ती जा रही है भूख राजा की / विजय किशोर मानव

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रोज़ बढ़ती जा रही है भूख राजा की
पेट के कंधे रखी बंदूक राजा की

जिस्म पर केवल लंगोटी दाम का टोटा
उम्र काटी ताकते संदूक राजा की

तितलियों के, फूल के कुनबे मिटाती है,
आंधियों से तेज़ होती फूंक राजा की

छूटता आसन, निगोड़ी पीठ ही दिखती,
शक्ल लांछन में छुपाती चूक राजा की