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रोजे सुती उठी घोॅर ऐंगना बुहाड़ी फनूं / अनिल शंकर झा

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रोजे सुती उठी घोॅर ऐंगना बुहाड़ी फनूं
नीपी पोती भनसा केॅ चूल्हा सुलगाना छै।
लक्ष्मी दुआरी पर बान्हली ओहारी वर
सानी पानी करी फनूं दूध दुहवाना छै।
रोपनी के खान-पान खेती के सारा समान
साजी बाजी एक साथ खेत भेजवाना छै।
थकी-हारी साँझ बेला अइतै हुनी अकेला
डैढ़िया पे ठाढ़ रही देखी मुसकाना छै॥