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रोज हम ऐसैं बुटैलोॅ जाय रहल छी / दिनेश बाबा
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रोज हम ऐसैं बुटैलोॅ जाय रहल छी
आदतो कुछ बद लगैलेॅ जाय रहल छी
स्वास्थकर छै चीज भी इफरात में
पान, तम्बाकू चिबैलेॅ जाय रहल छी
सेहत लेली दारू भी छै हानिकर
तैय्यो सब पीलें पिलैलेॅ जाय रहल छी
साजे दिल के तार ढिल्ला होय गेलै
दादरा, ठप्पा, लगैलेॅ जाय रहल छी
चाँद पहुँची गेल छै आबेॅ ढलानोॅ पर
चाँदनी तभियो लुटैलेॅ जाय रहल छी
पहिलोॅ रङ नैसर्गिक मस्ती आबेॅ कहाँ
ताकत के सइया लगवैलेॅ जाय रहल छी
‘बाबा’ कुछ ई हवा बचाय लेॅ कलको लेॅ
जंगल सब्भे ऐन्हें कटैलेॅ जाय रहल छी।