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रोटी और आँगन / रजत कृष्ण

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रोटी बँट कर के ख़ुश होती है ?
आँगन ख़ुश होता है
एक रह कर के ।

इस बखत
कुछ लोग
इसे फिर उलटना चाहते हैं ।
            
सावधान रहें साथियों,
सावधान ओ देश !
चेहरा नया
लक्ष्य पुराना है ।