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रोटी पूई धरी तड़के की देखूं बाट तेरे लड़के की / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
रोटी पूई धरी तड़के की देखूं बाट तेरे लड़के की
जब देखूं जब चांद सिखर मैं मर गई हो पिया तेरे फिकर मैं
एक हाथ दिवला एक हाथ झारी चढ़ गई हो मैं तो पिया की अटारी
कठै मेलूं दिवला कठै झारी, कठै हो पिया सेज तुम्हारी
धरण पै दिवला पटक दे ना झारी, पड़ जाओ हे गोरी पांयतै हमारी
पांयत सै रै सिरहाणै नै आई, जद बी ना बोला हो मरद कसाई
रो रो के मनैं आंख सुजा लई
पांच रपइए सेर मिटाई या ले गोरी रूसे की मनाई
धर दे रपइए पटक दे मिठाई, रूसें पाछै हो पिया मनैं नां लुगाई