Last modified on 31 अगस्त 2020, at 16:02

रोटी से एटम-बम प्यारा / शशिकान्त गीते

नहीं जुड़ा
क्या रजधानी से
प्यारे! तेरे घर का रस्ता?

क्यों पनघट
पर चक्कर मारे,
क्यों गुठान पर ढोर गेरता?
नई सदी की चरखी में क्यों,
अदिम युग के स्वप्न पेरता?
दुनिया भरी साधनों-सुख से
तेरी कैसे हालत खस्ता?

डरा रहा है बॉंध बिजूके
उड़ा रहा गोफ़न से चिड़ियॉं
पेट पकड़ कर हंसता रहता
देख भागते बोदा पड़ियॉं
उत्तर अधुनातनता से भी
थोड़ा-सा ही, रह बावस्ता।

कुछ दिन पहले नहीं सुने हैं,
क्या तूने परमाणु धमाके?
तू गचकुण्डी में ही ख़ुश है,
देख ज़रा-सा बाहर आ के!
रोटी से एटम-बम प्यारा
कितना अहम और है सस्ता।