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रोटी / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
सूरज
चांद
धरती
सै
रोटी रै उणियारै
आखा
गाजा बाजा
मोछब उच्छब
रोटी रै लारै
कुण है
इस्यो
मां रै जायो
जको
रोटी नै ललकारै ?
रोटी
राम स्यूं बड़ी
इण साच नै
सगळा हंकारै !