रोडवेज बस में एक लड़की / कमलेश कमल
शहर के अपने दफ़्तर से
देर शाम वह निकली
घर के लिए
थोड़ी परेशान
थोड़ी घबड़ाई
आज देर हो गई निकलने में
उस पर मौसम भी ख़राब
फिर भी छोड़े उसने
दो-तीन बस
या कहें कि इतनी भीड़ थी
कि चढ़ने का रिस्क नहीं लिया
पर अब
हर बीतते मिनट के साथ
वह होने लगी परेशान
स्टॉप से चालीस-पचास क़दम
आगे तक की चहलकदमी
जल्दी बस आए और वह चढ़े
पन्द्रह मिनट बाद आई बस
वह झट से चढ़ी
सीट भी मिल गई
पर कुछ आगे जाकर
बस लगभग खाली हो गई
बमुश्किल पाँच-छह पैसेंजर
उसकी साँस अटक गई
हर किसी से पूछती
भाई साहब!
आप कहाँ तक जाएँगे?
'भाई साहब' पर बल
कंडक्टर उसे आश्वासन देता
मैडम, परेशान मत हों
पर हर आश्वासन उसे
षडयंत्र लगता
और हर चुप्पी
रहस्यमयी
अगले स्टॉप पर
एक-दो लोग और उतर गए
उसने झटपट बैग लिया
और हड़बड़ाकर
वहीं उतर गयी॥