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रोबोट युग / सुशांत सुप्रिय

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एक ऐसा युग आएगा
जब गायों को रोबोट दुहेंगे
परीक्षाओं के प्रश्न-पत्र
रोबोट सेट करेंगे
विज्ञापनों में रोबोट आएँगे
रेडियो और टी. वी. पर
रोबोट कलाकार बाँसुरी बजाएँगे
बसें रेलगाड़ियों तथा विमान भी
रोबोट चलाएँगे
और निठल्ले मजनू
किराए पर मिलने वाली
लेडी-रोबोटों से
इश्क़ लड़ाएँगे

राम-लीलाओं में
खलनायक दिखने वाले रोबोट
रावण बनेंगे
और तेजस्वी लगने वाले रोबोट
राम की भूमिका अदा करेंगे
टी. वी. पर
स्मार्ट लगने वाले रोबोट
समाचार पढ़ेंगे
रेडियो पर रोबोटों की
रोबदार आवाज़ गूँजा करेगी :
यह रोबोटवाणी है
अब आप रोबोटानंद से
समाचार सुनिए

कमांडो प्रशिक्षण-प्राप्त रोबोट
ब्लैक-कैट दस्तों के स्थान पर
नज़र आएँगे
अंतरिक्ष-यात्राओं पर भी
प्रशिक्षण-प्राप्त रोबोट ही जाएँगे

दहेज में
वधू-पक्ष की ओर से
क़ीमती और प्रशिक्षित रोबोट ही
दिए जाएँगे
लौटरियों में
प्रथम-पुरस्कार स्वरूप
रोबोट पाने वाले मनुष्य
फूले नहीं समाएँगे

और तो और
शव-यात्राओं में
मुँह लटकाए चलने के लिए
तथा संतानहीन मृतकों को
मुखाग्नि देने के लिए भी
रियायती दरों पर किराए के
रोबोट मिल जाएँगे

कुछ पहुँचे हुए रोबोट
भविष्यवाणी किया करेंगे
जबकि परेशान मनुष्य
उन्हें अपना हाथ दिंखाते फिरेंगे

शायद कुछ भावुक रोबोट
कविताएँ भी लिखने लगेंगे
और एकाध रोबोट साहित्यकार
ज्ञानपीठ और नोबेल पुरस्कार भी
प्राप्त कर जाएँगे
सम्भवत: कुछ खिलाड़ी रोबोट
ओलम्पिक खेलों में
स्वर्ण-पदक भी जीत जाएँगे

शायद कुछ बेरोज़गार युवा रोबोट
अपने लिए एक स्वतंत्र रोबोटिस्तान राष्ट्र
का मुद्दा उठाएँगे
रोबोट मुक्ति वाहिनि के
आह्वान पर हुई हड़तालें
समाचार-पत्रों के
मुख-पृष्ठ पर छपेंगी

कुछ नई कहावतें
कुछ नए मुहावरे
प्रचलित हो जाएँगे
जैसे —’रोबोट-रोबोट मशीनी भाई’
कुछ नए नारे
गूँजा करेंगे
जैसे —’गर्व से कहो कि हम रोबोट हैं’
कभी-कभार
कोई विचलित बूढ़ा मनुष्य
रात को सोते समय
अपने पोते-पोतियों को
उस भूले युग की कहानियाँ सुनाएगा
जब राम-लीलाओं में मनुष्य भाग लेते थे
शव-यात्राओं में मनुष्य ही जाते थे
और मनुष्य ही
अपने लिए स्वतंत्र-राष्ट्र की
माँग उठाते थे
और बच्चे आँखें फाड़े
‘हाउ स्ट्रेंज !’
‘सच ग्रैंड-पा?’आदि
कहते-कहते सो जाएँगे