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रोया करिए देख चाद दिन चौदस के नै मेरी हूर की परी / मेहर सिंह
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वार्ता- सत्यवान सावित्री को कहता है
रोया करिए देख चांद दिन चौदस के नै मेरी हूर की परी।टेक
हम सैं पक्के पैज प्रण के
कहके उल्टे नहीं फिरण के
मेरे मरण के बाद ईश्क के चश्के नैं कर दिये दूर परी।
माला लिए हरी की टेर
दिल का करदे दूर अंधेर,
दिए गेर समझ कै रांध ईश्क के प्याले रस के नै, रहिये हूर खरी।
इस म्हं करता नहीं ल्हको,
नहीं सै भीतर ले मैं छोह
हो जै असली की औलाद काम करिये बसके नै नाव तिर ज्यागी तेरी।
शिक्षा गुरु लख्मी चन्द पै पा ली
रागनी जोड़ जोड़ कै गा ली,
मेहर सिंह आ ली मियाद, गाऊं सूं छंद बस के नै।
सुणियों रागणी मेरी