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रोशनदान / रश्मि रेखा
Kavita Kosh से
कमरे में स्याह अँधेरा था
मैं खोज रही थी सूई
ऑखों ने दे दिया था जबाव
आस-पास नहीं थी कोई माचिस की तीली
नहीं था रोशनी का कोई दूसरा हिसाबो-किताब
कि तभी चमका
ईशान-कोण में धूप का चकत्ता
मैंने जाना उसी दिन रोशनदान का मतलब
अँधेरे में रोशनी की सेंध लगाने की बेचैनी