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रोशनी के धुले दिन देखेंगे / नाज़िम हिक़मत

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बच्चो, हम सुन्दर दिन देखेंगे, देखेंगे,
सूरज की रोशनी के धुले दिन देखेंगे, देखेंगे —
खुले हुए सागर में अपनी द्रुतगामी नौकाएँ दौड़ाएँगे।
जगमग करते हुए खुले नीले सिन्धु में नावें दौड़ाएँगे।
सोचो तो पूरी गति से उन्हें कैसा दौड़ाना !

मोटर चलती हुई !
मोटर गरजती हुई !
अहाहा, बच्चो, कौन कह सकता है
कितना अद्भुत्त होगा
चूम लेना नावें जब वे सौ मील की रफ़्तार से दौड़ें !

आज यह सच है
केवल जुमा और इतवार को फूलों के बाग़ों में हम जाते
केवल जुमा के दिन
केवल इतवार के दिन
आज यह सच है
हम आलोकित पथों के भण्डार यों देखा करते हैं,
जैसे परी की कहानी सुन रहे हों
शीशे की दीवारों वाले वे भण्डार
सत्तर मंज़िलों की ऊँचाइयों में ऐसे हैं।

सच है कि जब हम जवाब चाहते हैं तो
डायन-सी पुस्तक खुल जाती है —
कारागार।
चमड़े की पेटियों में हमारी बाँहें बँध जातीं
टूटी हड्डियाँ
ख़ून।

सच है हमारी थालियों में अभी
हफ़्ते में एक दिन ही गोश्त मिल पाता है
और हमारे बच्चे काम के बाद यों लौटा करते हैं
जैसे पीली-पीली ठठरियाँ हों।

सच है अभी —
लेकिन तुम मेरी बात गाँठ बाँध लो
बच्चो, हम सुन्दर दिन देखेंगे, देखेंगे,
सूरज की रोशनी के धुले दिन देखेंगे,
खुले हुए सागर में अपनी द्रुतगामी नौकाएँ दौड़ाएँगे।
जगमग करते हुए खुले नीले सागर में नावें दौड़ाएँगे।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : चन्द्रबली सिंह