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रोहेण बाई थारी कोठरी हो माता / निमाड़ी

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

रोहेण बाई थारी कोठरी हो माता,
अगर रह्यो महेकाय।
कि हो गन्धीड़ो बसी गयो,
की हो फूली फुलवाड़ी।
नहीं हो गन्धीड़ो बसऽ म्हारी सई हो।
नहीं हो फूली फुलवाड़ी,
आया चन्द्रमा राजा, बठ्या म्हारी कोठरी,
अगर रह्यो महेकाय।