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रौदी अछि, दाही अछि / बुद्धिनाथ मिश्र
Kavita Kosh से
रौदी अछि, दाही अछि
हमरा ले' धैन सन।
गामक तबाही अछि
हमरा ले' धैन सन।
हम महान छी,चटइत
तरबा इतिहास अछि
विपदे सँ गढल हमर
व्यक्तिगत विकास अछि
पुस्त-पुस्त सँ सूर्यक
रथ जोतल लोक पर
पडइत अछाँही अछि
हमरा ले' धैन सन।
हम देशक कर्णधार
हमरहि सँ देश अछि
भासन मे हम, रन मे
राजा सलहेस अछि
सरनागत-पालक हम
तैं चारू सीमा पर
ई आवाजाही अछि
हमरा लॆ' धैन सन।
अहाँ धरापुत्र, धरा पर
अहींक घाम खसय
शीततापहीन हमर
पलिवारक राज रहय
न्याय वैह जे हमरा प्रिय,
हमरे हित मे हो
सत्यक गवाही अछि
हमरा ले' धैन सन।