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रौशनी है, तो झिलमिला कर देख / मधुप मोहता
Kavita Kosh से
रौशनी है, तो झिलमिला कर देख
और हंसीं है तो खिलखिला कर देख
मैं तेरी धुन हूँ ,गुनगुना मुझको
हौसला है तो दिल लगा कर देख.
नशा है तो सर पर चढ़ कर बोल
गर है कातिल तो मुस्कुरा कर देख
साथ रहना है तो परछाईं बन जा
भूल जाना है, तो ख्वाब बन कर देख
रात है तो पार चाँद के चल साथ
तू सहर है तो मुझे घर आ कर देख
हाँ, हवा है तो सांस सांस में बस
बहता पानी है तो सुलगा कर देख