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लक्ष्मण रेखा / देहरी / अर्चना झा
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कतना आजाद छलै बचपन
छोटोॅ-छोटोॅ गोड
पार करी जाय रहै घरोॅ के देहरी
आरो पहुँची जाय रहै
कखनू दलानी, कखनू खलिहानी मेॅ
एक घरोॅ सेॅ दोसरोॅ घरोॅ तक निर्भिक
जेना-जेना उमर बढतै गेलै
जे जगहोॅ पर खेललिए-लेटैलिए
वहाँ हमरोॅ गोड आगू तक नै बढै छै
कैह्नै कि एगो लक्ष्मण रेखा खींची देलोॅ गेलोॅ छै
जेकरा बाहर नै पता कतना ही रावण खडा छै
भेषोॅ केॅ बदली केॅ