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लक्ष्य कठिन हो मित्र, नहीं धीरज तजना / राकेश कुमार
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लक्ष्य कठिन हो मित्र, नहीं धीरज तजना।
मन को दे विश्राम,सदा दिल की सुनना।
जीवन में आराम, मिलेगा कभी नहीं,
निर्झर-सा अविराम,सदा चलते रहना।
खींच रहे हों टाँग, अगर दुश्मन मिलकर,
तब भी रखकर धैर्य,सदा आगे बढ़ना।
निर्धारित कर लक्ष्य,चला उसने पाया,
लक्षित पथ में शूल, चुभें तब भी हँसना।
जीवन में सत्कर्म,करो फल चाह बिना,
जो भी दे दातार,उसे ख़ुश हो चखना।
सबका मालिक एक, वही मुरलीवाला,
माला आठों याम,उसी की बस जपना।