लक्ष्य के पथ जाना है
आँधी आये दीप बुझे ;
फिर भी रूक नहीं सकता
मणि है साथ जो!
आगे बढ़ चला
साहित्य के घर चला!
आदित्य की तरह जला
काव्य-परिसर में आ जो पला!
लक्ष्य के पथ जाना है
आँधी आये दीप बुझे ;
फिर भी रूक नहीं सकता
मणि है साथ जो!
आगे बढ़ चला
साहित्य के घर चला!
आदित्य की तरह जला
काव्य-परिसर में आ जो पला!