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लगाव / अनिरुद्ध उमट
Kavita Kosh से
एक कुम्हारिन से
माँ
लगाव हुआ
बनाती नहीं
मिट्टी से बरतन
लेपती रहती मुझ पर
घुमाती रहती
चाक पर
मैं कैसा बना
तू बता
किसी काम का भी रहा
आज तो उसने
खुद को चाक पर चढ़ा लिया
लेप लिया मुझे