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लगा जैसे कि / अनुक्रमणिका / नहा कर नही लौटा है बुद्ध
Kavita Kosh से
लगा जैसे कि सेक्टर पचीस की झुग्गियों में कोई बच्चा चीख़ा
लगा जैसे कि अकेले में कोई यह सोचते हुए चीख़ा कि यह कौन चीख़ा
लगा जैसे कि एक हिन्दुस्तान चीख़ा, एक संसार चीख़ा
लगा जैसे कि अकेले में कोई यह सोचते हुए चीख़ा कि यह कौन चीख़ा
लगा जैसे कि बहुत देर से न चीख़ पाने की तड़प में मैं चीखा।
लगा जैसे कि दुनिया की चीख़ें बातें कर रही हैं जहाँ ताप है ताप है ताप,
शीतल कोई शब्द है नहीं।
लगा जैसे कि चौंधियाते आकाश से बचते हुए हर कोई छू रहा ज़मीं।