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लगौ तू मर्दा जोर लगा / विजय गौड़

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लगौ तू मर्दा जोर लगा,
जरा लगि ग्ये, जरा हौर लगा। 
औ, अब यनि तू लगौ ताणी,
मिलि जौ जु, त्वै त्येरू सब्बि-धाणी।
अखरी दौं कुच यनु सोर लगा,
लगौ तु मर्दा  ................... ।

राजि रौ तू, 
रौ राजी गौं-मुलुक त्येरु,
हिट, उज्यलका बाटों हिट, 
नि कनु सुद्दी, त्येरु-म्येरू। 
छोड़ अब ईं चुप-चाणि,
बगौ सुख्यां मन, सुखौ पाणि। 
अफु बि लग,
दगड़म बछरा-गोर लगा,
लगौ तु मर्दा  ................... ।

कब तलक ऊँका पिछनै-पिछ्नै,
कब तलक बस उँखुणी तालि। 
भै, कब तलक रीता कीसों लेकि,
भ्वर्याँ पुटगों क़ि कनू रैलि गाणी।
बगत अब अफखुणी कना कु,
य जिकुड़ी मँगणी "मोर" लगा। 
लगौ तु मर्दा  ................... ।