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लग रहा अंतिम ठिकाना आ गया / रंजना वर्मा

लग रहा अंतिम ठिकाना आ गया।
श्याम से रिश्ता निभाना आ गया॥

बेबसी से अब तलक हारा किये
अब उसे परचम बनाना आ गया॥

हो रहा। मैला सरित का नीर है
अश्रुजल प्रभु को पिलाना आ गया॥

धेनु की-की पग रज न वृंदावन यहाँ
श्याम को बंसी बजाना आ गया है॥

है प्रतीक्षा तृषित नैनो में भरी
प्यासी यादों से बुझाना आ गया॥

हूँ न मीरा राधिका या सूर ही
सुमन भावों के चढ़ाना आ गया॥

श्याम आ भी जा हृदय वन तीर अब
रास सुधियों से रचाना आ गया॥