भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
लघु जीवन / महेन्द्र भटनागर
Kavita Kosh से
फूलों का संसार हमारा है !
उज्ज्वल हास लुटाते हैं
- मधु मकरंद उड़ाते हैं
- मारुत पेंग सुहाते हैं
झंकृत उर हर तार हमारा है !
- ले लो हार बनाने को
- भर लो माँग सजाने को
- सूना गेह बसाने को
भोला-भोला प्यार हमारा है !
- हमको देख लजाओ ना
- छलना भाव जताओ ना
- इतना हाय सताओ ना
दो पल का शृंगार हमारा है !
फूलों का संसार हमारा है !