भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

लचिका रानी / खण्ड 1 / अंगिका लोकगाथा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

बंदना

रम्मा पहिलें सुमराैं सरसती मैयो हो ना
रम्मा हमरा पर हुवेॅ सहैयो हो ना
रम्मा सुमरौं गणपति, गणेश, चरणमो हो ना
रामा नीचें सुमरौं शेषनाग देवता हो ना
रम्मा सुमराैं आपनोॅ धरती धरममो हो ना
रम्मा सुमराैं हम्मे सातो बहिन दुर्गा महरनियो हो ना
रम्मा पकड़ी सुमराैं गुरू जी के चरनमो हो ना
रम्मा जौनें देलकै हमरा गियनमो हो ना
रम्मा सब्भै देवता के करौं परनममो हो ना
रम्मा सुनोॅ आबेॅ लचिका के कहनियो हो ना

पहिला खण्ड

रम्मा सुनोॅ कथा लचिका के धरि केॅ धियानमो रे ना
रम्मा बरप्पा छेलै एक नगररियो रे ना
रम्मा वहाँ के राजा बड़ा शक्तिशालियो रे ना
रम्मा इनकर लड़का छेलै प्रीतम सिंहो घब रे ना
रम्मा सब्भै राजा में प्रसिद्धवो रे ना
रम्मा अन्न-धन छेलै पुरजोरिवो रे ना
रम्मा लचिका छेलै प्रीतम के जानमो रे ना
रम्मा देखै में छेलै खुबसुरतियो रे ना
रम्मा लागै गुलाब फुलवो रे ना
रम्मा रूप छेलै अनुपे रे ना
रम्मा आवेॅ सुनोॅ आगू के बतियो रे ना
रम्मा नौरंग सिंह के छेलै नौरंग पोखरबो रे ना
रम्मा राजा के सुनी हुकुममो रे ना
रम्मा आबी केॅ बोलै कुटनी बुढ़ियो रे ना
रम्मा हम्में लानी देभौं लचिका रनियाँ रे ना
रम्मा पान बीड़ा खैलके कुटनी बुढ़िया रे ना
रम्मा बुढ़िया धरलकै रसतवो रे ना
रम्मा जाय पहुँचलै वरप्पा नगरियो रे ना
रम्मा करलकै राजा बड़ी इन्तजामवो रे ना
रम्मा संगोॅ में सब पलटनमो रे ना
रम्मा पहुँची गेलै वरप्पा पोखरियो रे ना
रम्मा बुढ़िया गेलै लचिका के भवनमो रे ना
रम्मा लचिका सें करै छै बतियो रे ना
रम्मा हम्में छेकियौ तोरोॅ मौसियो रे ना
रम्मा बुढ़िया बोलै मीठी बोलियो रे ना
रम्मा लचिका सुनी देलकै जबबो रे ना
रम्मा मैया छेलै हमरोॅ अकेलवो रे ना
रम्मा दोसरोॅ कोनो नहीं बहिनियो रे ना
रम्मा कैसें लागभैं तों हमरोॅ मौसीयो रे ना
रम्मा तबेॅ बोलै कुटनी बुढ़ियो रे ना
रम्मा सुनें बेटी हमरोॅ बतियो रे ना
रम्मा जहिया होलौ तोरोॅ जनममो रे ना
रम्मा वही दिनां होलै हमरोॅ गौउनमो रे ना
रम्मा जहिया सें गेलियै ससुररियो रे ना
रम्मा नाहीं एैलियै नैहरवो रे ना
रम्मा होलौ जबेॅ तोरोॅ विहववो रे ना
रम्मा नै देलकौ तोरो माय नेवतो लियवनमो रे ना
रम्मा तोड़ी देलकौ हमरा सें नतवो रे ना
रम्मा जानभैं कैसें तों हमरोॅ हलवो रे ना
रम्मा कैसें करभैं पहचनमो रे ना
रम्मा पूछले ऐलां तोहरोॅ नगरियो रे ना
रम्मा तोरा सें करैलेॅ मुलकतवो रे ना
रम्मा हम्में तोरोॅ मौसियो रे ना
रम्मा मानी लेहै हमरोॅ तों सत बचनमो रे ना
रम्मा तोरोॅ ससुर के नौ रंग पोखरियो रे ना
रम्मा मनोॅ में लागलोॅ ललसवो रे ना
रम्मा देखै लेॅ ऐलां सुनी केॅ नममो रे ना
रम्मा सुनी लचिका भेलै मगनमो रे ना
रम्मा करेॅ लागलै मौसी के आदर सतकरबो रे ना
रम्मा कुटनी बुढ़ियाँ के मनोॅ मे भेलै खुशियो रे ना
रम्मा एक दिन कहै कुटनी बुढ़ियो रे ना
रम्मा सुनें बेटो लचिका हमरोॅ बतियो रे ना
रम्मा तोहरोॅ छौ नौ रंग पोखरियो रे ना
रम्मा हमरा देखाय दे भरी नजरियो रे ना
रम्मा चली केॅ हमरा संगवो रे ना
रम्मा तबेॅ पूरा होतै हमरोॅ अरमनमो रे ना
रम्मा लचिका कहै मौसी सें बतियो रे ना
रम्मा सुनें हमरोॅ बतियो रे ना
रम्मा हम्मे पूछि आवै छियौ आपनोॅ सासू सें रे ना
 रम्मा तबेॅ लैके जैवौ पोखरियो रे ना
रम्मा इ बात बतिया कही के लचिका गेलै सासू के पासबो रे ना
रम्मा हाथ जोड़ी करै बतियो रे ना
रम्मा सुनोॅ माय जी हमरोॅ बतियो रे ना
रम्मा आजु दिना छेकै एतबरबो रे ना
रम्मा सुरूजोॅ केॅ देवै अरगबो रे ना
रम्मा हमरा तों देॅ हुकुममो रे ना
रम्मा हम्में जैबै नाहैलेॅ पोखरियो रे ना
रम्मा लचिका के सुनी बचनमो रे ना
रम्मा सासु कहै पूतौहो सें बचनमो रे ना
रम्मा पोखरिया के पानी बड़ा खरबवो रे ना
रम्मा कादोॅ कीचड़ सें भरलोॅ पोखरबो रे ना
रम्मा कैसंे जैभो पोखिरिया असनानमो रे ना
रम्मा ठंडा लागी पोखरिया के पनियो रे ना
रम्मा ऐगंना में खोदाई देभौं वारह कुपबो रे ना
रम्मा रेशम के लानी देबाैं डोरियो रे ना
रम्मा नहीं देलकै साँसू हुकुममो रे ना
रम्मा तबेॅ भै गेलै रानी लचिका उदसवो रे ना
रम्मा चल्लो गेलै ससुर जी के पसबो रे ना
रम्मा जाय केॅ बोललै हलवो रे ना
रम्मा ससुरें दै देलकै हुकुमो रे ना
रम्मा तबेॅ गेलै स्वामी जी के पासवो रे ना
रम्मा नहीं देलकै स्वामी हुकुममो रे ना
रम्मा माथा पर चढ़लै शैतनमो रे ना
रम्मा नहीं मानलकै केकरो कहनमो रे ना
रम्मा चल्लोेॅ गेलै पोखरिया असननमो रे ना
रम्मा कुटनी के फेरोॅ में पड़लै रानी लचिको रे ना
रम्मा फिरी गेलै लचिका के मतिया रे ना
रम्मा कुटनी बुढ़ियाँ के दागाबजियो रे ना
रम्मा भेद कुछु नहीं जानलकै रानी लचिको रे ना
रम्मा लड़का छोड़ी देलकै घरवो रे ना
रम्मा सुतलोॅ पलंग के उपरबो रे ना
रम्मा लै लेलकै आपनोॅ कपड़वो रे ना
रम्मा चल्लोॅ गेलै कुटनी के संगबो रे ना
रम्मा पोखरिया में करै लेॅ असननमो रे ना
रम्मा आवे सुनो पोखरियाँ के बचनमो रे ना
रम्मा वहाँ बैठलोॅ रहै पापी जयसिंह राजवा रे ना
रम्मा मनोॅ में सौचै बतियो रे ना
रम्मा आजु दिना मिली जैतै रानी लचिको रे ना
रम्मा लचिका एैले पोखर किनरवो रे ना
रम्मा दतवन करेॅ लागलै पोखर किनरवो रे ना
रम्मा कपड़ा गहनमा खोली धरै घटवा भीतरबो रे ना
रम्मा लचिका नहावेॅ लागलै घटवो रे ना
रम्मा कुटनी बुढ़िया देलकै राजा के ईशरवो रे ना
रम्मा राजा जबेॅ देखलकै ईशरवो रे ना
रम्मा साथे लैके सिपहिया लशकरवो रे ना
रम्मा आवी पहुँचलै पोखरियाँ ऊपरवो रे ना
जतना छेलै सेना लश्करवो रे ना
रम्मा घेरी लेलकै आवी केॅ पोखरियो रे ना
रम्मा लचिका जबेॅ देखलकै हलवो रे ना
रम्मा भागि केॅ छिपलै मंदिरवो रे ना
रम्मा जबेॅ सुनलकै नौरंग सिंह खबरवो रे ना
रम्मा लचिका घेरैली पोखरबो रे ना
रम्मा घेरलकै आवी केॅ दुश्मनमो रे ना
रम्मा मथवा धुनै कहै बचनमो रे ना
रम्मा बहुएं नहीं मानलकै कहनमो रे ना
रम्मा पोखरिया पर गेलै करिकेॅ हठबो रे ना
रम्मा पड़ी गेले दुश्मन के हथवो रे ना
रम्मा होय गेलै बड़ी मुश्किलवो रे ना
रम्मा एतना कही केॅ बचनमो रे ना
रम्मा देलकै पलटन के हुकुममो रे ना
रम्मा एैलै दुश्मन पोखरियो रे ना
रम्मा होय जायकेॅ जल्दी तैयरवो रे ना
रम्मा सुनी केॅ जयसिंह के बतियो रे ना
रम्मा पलटन सजलकै आरू हथियो रे ना
रम्मा चल्लै पोखरिया पर पटलनमो रे ना
रम्मा साथो में चललै प्रीतम सिंहबो रे ना
रम्मा पोखरिया पर पहुँचे फौजियो रे ना
रम्मा दोनों दलोॅ के भेलै भिड़नमो रे ना
रम्मा चलेॅ लागलै तीर तलबरवो रे ना
रम्मा हुवै लागलै घमासान लड़ैयो रे ना
रम्मा बहै लागलै लहुवो के धरबो रे ना
रम्मा घोर लड़ैया होलै चार पहरवो रे ना
रम्मा जयसिंह पोखरियो रे ना
रम्मा पलटन के देखी हलवो रे ना
रम्मा प्रीतम सिंह लड़े आबी केॅ अगुओ रे ना
रम्मा करलकै धमासान लड़ैयो रे ना
रम्मा लड़तें-लड़तें तेजलकै परनममो रे ना
रम्मा रहि गेलै नौरंग सिंहवा अकेल्ले रे ना
रम्मा सुनिकेॅ हाल होले बेहलबो रे ना
रम्मा फेनू धीरज धरलकै मनमो रे ना
रम्मा घोड़ा वृजवाहन पर सबरबो रे ना
रम्मा लड़ैलेॅ चललै होयकेॅ तैयरवो रे ना
रम्मा पहुँची गेलै पोखरिया उपरवो रे ना
रम्मा आबी केॅ लड़ेॅ लागलै नौरंग सिंहबो रे ना
रम्मा करिकेॅ लड़ाय धमसनमो रे ना
रम्मा दस बीस के काटै गरदनमो रे ना
रम्मा एतनै में एैललै एक वीरवो रे ना
रम्मा पीछू सें मारि देलकै तेगवो रे ना
रम्मा नौरंग सिंह के कटी गेलै गरदनमो रे ना
रम्मा धरती पर गिरी तेजलकै परनमो रे ना
रम्मा होलै नाश नौरंग सिंह के दलवो रे ना
रम्मा दुश्मन केॅ होलै खुशी हलवो रे ना
रम्मा चारो ओर मचलै जै जै करबो रे ना
रम्मा दुश्मन दल के भीतरवो रे ना