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लजीली / पढ़ीस
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ना ना ना भैना भली, मैं ना मानूँ बात;
जा जा जा कहि हँसि भजी, उनसों पूछै घात।
इक कर बिजन बयार कौं, दूजे आरति थाल;
खड़ी रही दहलीज पै, धौरैं गयी न बाल।
कीनहें कितै उपाय पै, बाल लाल लखि लाजि;
कटि कसि तकि चकि रही, सरकि भरकि गयि भाजि।
शब्दार्थ
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