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लज्जावती / राजकमल चौधरी

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कद्रू ने दिशाओं के उस पार जाकर देखा,
उसकी नाभि से निकले हुए सहस्र-कोटि
सर्पों ने सूर्य-रथ ढँक लिया है । अदिति
मुस्कुराई अवस्त्र, समुद्र-स्नान करने चली
गई ।