भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
लट / तादेयुश रोज़ेविच / सरिता शर्मा
Kavita Kosh से
जब वाहनों में लाई गई
सभी महिलाओं के
सिर मुँडवाए गए
चार मजदूरों ने संटियों की झाड़ुओं से
बुहारा
और बालों को बटोरा
साफ शीशे के नीचे
रखे हैं सख्त बाल उनके
जिनका दम घुटा गैस चेंबरों में
पिनें और कंघियाँ उलझी हुई हैं
इन बालों में
बाल रोशनी से चमकते नहीं हैं
हवा उन्हें लहराती नहीं है
किसी हाथ
ने छुआ नहीं है उन्हें
न ही बारिश या होंठ ने
भारी भरकम पेटियों में
पड़े हैं रूखे बाल
दम घुटने वालों के
और कुम्हलाई चोटी की
रिबन वाली एक लट है
जिसे स्कूल में खींचा था
शरारती लड़कों ने