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लड़कियाँ जब होती है सपनों में / सतीश छींपा
Kavita Kosh से
लड़कियाँ जब होती है सपनों में
तब दुनियाँ वाकई सुन्दर होती है।
बर्फ सी जमी सांसे
पिघलती है।
धीरे-धीरे
ग्लेशियर की मानिन्द
और बना देती है एक नदी
आँखों के पीछे का खारा समन्दर
कुछ पलों के लिए सूख जाता है
वे स्कूल जाती है
हँसती-खिलखिलाती
गाती-गुनगुनाती है
स्वतंत्र दुनियां
डोलती रहती है निश्चिंत
लड़कियां -
चिंताओं को डाल देती है खूंटी पर
करती है प्रेम
लिख-लिख उड़ा देती है प्रेम कविताएँ
रच डालती है
एक सुन्दर समाज
सच-
बहुत सुन्दर होती है
लड़कियाँ की सपनों की दुनियाँ