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लड़कियां (2) / हरीश बी० शर्मा
Kavita Kosh से
लड़कियां
अब सिहरती नहीं
बिफरती भी कम हैं
इन्जॉय करना जानती हैं
प्रतिकार नहीं करती
पहले तोलती हैं
लाइन मारने वालों को
औकात का पता लगाती हैं
नापती हैं उसकी हैसियत
दर्ज करती हैं
अपनी उपलब्धियों में।