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लड़की, जो पीछे आने का संकेत कर गई / भारत यायावर

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एक जुलूस

मेरी आँखों के आगे

ठहर गया है

उसे एक कुत्ता / 'लीड' कर रहा है


पर मैं

उसे वहीं छोड़

ख़यालों की सीढ़ियाँ चढ़

उस लड़की के

कमरे के सामने हूँ

और उसका दरवाज़ा

खटखटा रहा हूँ

जो अचानक

अपनी ओर मुझे घूरता पाकर

आँखों में मुस्कराई थी


और पीछे आने का

संकेत कर गई थी


फिर

मेरे देखते ही देखते

एक नदी हो गई थी

मेरे ही अन्दर


और मैं

ख़यालों की सीढ़ियाँ चढ़कर

उसके कमरे के सामने हूँ

और उसके दरवाज़े पर

दस्तक दे रहा हूँ


पर मेरी दस्तक की

आवाज़ पर

कोई भी चेहरा

नहीं उभरता


अब भी नदी

निरन्तर बह रही है


और मैं

सीढ़ियाँ उतर रहा हूँ


अब जुलूस के आगे

कई कुत्ते हैं

कुत्तों के सिर पर

टोपियाँ हैं

कुत्ते भूंक रहे हैं

कुत्ते भाषण दे रहे हैं


कुत्ते कह रहे हैं अभी रात है

जुलूस स्वीकार में सिर हिला रहा है

कुत्ते कह रहे हैं अभी दिन है

जुलूस स्वीकार में सिर हिला रहा है


और मैं भी चाहता हूँ

दुम हिलाना

पर भीड़ हो जाने के डर से

दूर से ही सलाम ठोंक देता हूँ


यह जुलूस कभी ख़त्म नहीं होगा

पर कुत्तों की जगह गदहे भी आएंगे

गदहों की जगह गीडड़ भी आएंगे

गीदड़ों की जगह सुअर भी आएंगे

सुअरों की जगह......


और मैं सोच रहा हूँ

आदमी कब आएगा

जो आदमी की भाषा समझेगा

और मैं

मिल सकूंगा

उस लड़की से

जो मेरे ही अन्दर

एक नदी होकर बह रही है

मेरी भावनाओं के मध्य

माँ हो गई है


न जाने कब

मैं इस नदी को

अपने से बाहर

देश के

जंगलों, खेतों, रेगिस्तानों

गाँवों, कस्बों, शहरों के बीच से

गुज़रता

देख सकूंगा ?

न जाने कब ?