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लड़की / श्रीप्रसाद
Kavita Kosh से
लड़की अंतरिक्ष में जाती
साहस इतना भारी
लड़की खेल रही खतरों से
लड़की कभी न हारी
लड़की कलाकार होती है
कोयल के स्वर गाती
लड़की सुंदर नृत्य दिखाकर
नये लोक ले जाती
लड़की शासन चला रही है
लेती जिम्मेदारी
वायुयान लड़की के हाथों
आसमान में उड़ते
नये-नये अध्याय ज्ञान के
इससे ही हैं जुड़ते
बनती पुलिस, फौज में जाती
बनती ऊँची नारी
रचती है साहित्य, वेद की
रचती वही ऋचाएँ
कोमल भावों में डूबी है
क्या इसके गुण गाएँ
नन्ही बच्ची गोदी में है
खुशियों भरी पिटारी
यह स्वतंत्रता के संघर्षों
में भी तो थी आगे
इसका जोश देख भारत के
कितने ही जन जागे
यह प्रकाश लेकर निकली है
मिटा रही अँधियारी
लड़की अंतरिक्ष में जाती
साहस इतना भारी।