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लड़की / सुमन केशरी
Kavita Kosh से
डुग-डुग डुग-डुग
चलती रही है वह लड़की
पृथ्वी की तरह अनवरत
और नामालूम-सी
किसे पता था कि चार पहर बीत जाने के बाद
हम उसे पल-पल गहराते चंदोवे के नीचे
सुस्ताता-सा देखेंगे
और सोचेंगे
लेट कर सो गई होगी लड़की
पृथ्वी-सी
पर चार पहर और बीतने पर
उसे आकाश के समन्दर से
धरती के कोने-कोने तक
किरणों का जाल फैलाते देखेंगे
कभी उसके पाँवों पर ध्यान देना
वह तब भी
डुग-डुग डुग-डुग
चल रही होगी
नामालूम-सी
पृथ्वी-सी